जैन साहित्य >> गोम्मटसार, जीवकाण्ड (प्रथम भाग) गोम्मटसार, जीवकाण्ड (प्रथम भाग)आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती
|
0 |
जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'.
जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'. आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती (दसवीं शताब्दी) ने इस वृहत्काय ग्रन्थ की रचना 'गोम्मटसार जीवकाण्ड' और 'गोम्मटसार कर्मकाण्ड' के रूप में की थी. डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये और सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री के सम्पादकत्व में यह ग्रन्थ प्राकृत मूल गाथा, श्रीमत केशववर्णी विरचित कर्नाट-वृत्ति जीवतत्त्व-प्रदीपिका संस्कृत टीका तथा हिन्दी अनुवाद एवं विस्तृत प्रस्तावना के साथ चार वृहत भागों (गोम्मटसार जीवकाण्ड, भाग 1,2 और गोम्मटसार कर्मकाण्ड, भाग 1,2) में प्रकाशित हुआ है.
|